आम को सभी फलों का राजा माना गया है। आम प्रकृति की अद्भुत देन है। आम और दूध के द्वारा शरीर का कायाकल्प किया जा सकता है। इसका उल्लेख अनेक प्राचीन ग्रन्थों में मिलता है। कई वैद्यों द्वारा इस प्रकार का कायाकल्प किया भी जा चुका है। तिल्ली और आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धतियों में आम के रस का खूब गुणगान किया गया है। आम रोगियों के लिए विशेष रूप से लाभदायक है; क्योंकि इसका मुख्य कार्य रक्त में वृद्धि करना है। मानसिक रोगों और तपेदिक के इलाज में भी इसका सफल प्रयोग किया गया है। आम के वृक्ष में बौर का आगमन बसन्त ऋतु में होता है। इसकी बौर । अतिसार, कफ, पित्त, प्रमेह, दूषित रक्त नाशक, अग्निवर्द्धक होती है। कच्चा आम भी अपनी उपयोगिता में पीछे नहीं है और पका आम अनेक रोगों को नाश करने वाला सिद्ध हुआ है। शहद के साथ आम का व्यवहार किया जाये, तो क्षय, प्लीहा, वायु और कफ का नाश होता है।
घृत के साथ सेवन बलवर्द्धक, शरीर में कान्ति बढ़ाने वाला होता है। दूध के साथ प्रयोग में लाने से प्रमेह नाशक, मधुमेह, अजीर्ण नाशक, रुचिकारक, शीतल, बलवर्द्धक होता है। यदि आम के रस को कपड़े में रखकर सूर्य में सुखाकर प्रयोग में लाया जाये, तो प्यास और वमन, वात, पित्त, कफ नाशक तथा हलका प्रमेह, व्रण, दर्द, थकावट को दूर करने वाला होता है। यह अमावट कहलाता है।
आम कई प्रकार से प्रयोग में लाया जाता है।
आम कई प्रकार से प्रयोग में लाया जाता है-काटकर, चूसकर, रस निकालकर । यदि इसका व्यवहार रस निकालकर किया जाये, तो यह बलवर्द्धक, भारी दस्तावर, कफ में वृद्धि करने वाला, हृदय को शक्ति देने वाला होता है। यदि चूसकर खाया जाये, तो वह बलवीर्यवर्द्धक, रुचिकर, हलका, मलबन्धक, शीतल, वात-पित्त नाशक और सुपाच्य होता है। काटकर प्रयोग में लाया जाये, तो वह देर से पचता है और साथ ही भारी, जड़ता लाने वाला व बल-वीर्यवर्द्धक होता है। | कच्चे आम को आग में भून लीजिये और मसलकर थोड़ा पानी मिलाकर रस निकाल लीजिये। इस रस में नमक, काला नमक, भुना जीरा, काली मिर्च, अदरक पीसकर मिला लीजिये। यह रुचिकर, लू से बचाने वाला, हैजा, ज्वर, फुन्सियों को दूर करने वाला है। यदि नमक के स्थान पर शक्कर का उपयोग किया जाये, तो घमौरी, शीतला और आंख का आना भी दूर हो जाता है। इसे आम का पना' कहा जाता है।
आम का रस निकालकर
आम का रस निकालकर ऐसे बर्तन में रखें, जिससे वह खराब न हो। उस रस में चीनी दो किलो, पांच किलो पानी और 20 ग्राम साइट्रिक एसिड डालें। चीनी को पानी में घोलकर भली-भांति रस मिला दीजिये। फिर साइट्रिक एसिड मिलाकर डाल दीजिये।
आम का बढ़िया शरबत तैयार हो गया। शरबत को बहुत समय तक टिकाऊ रखने के लिए बोतल में बन्द करके रखें। शक्तिवर्द्धक है। आम के रस को कपड़े पर डालकर सूर्य के प्रकाश में सुखा लीजिये और आम के रस का उपयोग करते रहिये। कभी-कभी आम के रस में चीनी अथवा गुड़ मिलाकर उबालकर सूर्य की रोशनी में सुखाकर आम रस या आमवट बना लें।
वर्षा होने के बाद जो कच्चे आम आते हैं, वे अचार के लिए उपयोगी हैं। इनका अचार अनेक प्रकार तेल अथवा बिना तेल के डाल दिया जाता है। कुशल गृहणियां इस काम को कर डालती हैं। आम का मुरब्बा कच्चे और पके दोनों प्रकार के आम से बनाया जा सकता है। पहले छिलका छीलकर छोटे-छोटे टुकड़े कर लीजिये। इन टुकड़ों को एक ऐसे बर्तन में उबालने के लिए रखिये, जिसमें खराब न हो। जब टुकड़े कुछ नरम पड़ जायें, तो टुकड़ों के बराबर शक्कर डाल दीजिये। उसे इतना पकाइये कि गाढापन आ जाये, तब उतार लीजिये और दो-तीन नीबू निचोड़कर कच्चे आम के मुरब्बे में डाल दीजिये।
पके आमों में पानी के साथ उबालने की आवश्यकता नहीं पड़ती। नीब अवश्य निचोड़ा जाता है। बस मुरब्बा तैयार हो गया। आम की लौंजी भी जायकेदार खाने में आनन्द देने वाली होती है। मीठे आम के रस का आम्रावलेह भी उपयोगी बनता है। इस प्रकार का आम का जो चाहें उपयोग कर सकते हैं।
आम पौष्टिक होता है।
आम पौष्टिक होता है। यह न केवल एक पूर्ण भोजन है, अपितु गरमियों में स्वास्थ्य को बनाये रखने के लिए अत्यन्त आवश्यक भी है। रक्त की कमी को दूर करने वाला है।
कच्ची आमियां उलटी तथा तिल्ली की बीमारियों के लिए रामबाण हैं। तथा किडनी या ब्लैडर की पथरी को गला देती हैं। सबसे अधिक उपयोगी ल का प्रकोप दूर करने पर सिद्ध होती है। आम को सुखाकर पीसकर अमचूर बना लिया जाता है। अमचूर और लहसुन समान मात्रा में पीसकर बिच्छ के काटने के स्थान पर लेप करने से फौरन आराम मिलता है। जल जाने पर आम के पत्तों की भस्म को लेप करने से त्वचा जल्दी नयी बन जाती है।
रात को आम दूध मिलाकर पीने से अच्छी नींद आती है। अनिद्रा मिटती है। आम खाने से जलोदर मिटता है। इसमें बढ़िया सेब से भी छः गुना अधिक विटामिन 'सी' पाया जाता है। विटामिन 'ए' भी बहुत बड़ी मात्रा में पाया जाता है।
आम के छिलके में भी गूदे जितना ही विटामिन होता है।
विटामिन 'ए' में शरीर को सुरक्षित रखने और रोगों का सामना करने | की शक्ति है। विटामिन 'सी' से बच्चों में होने वाले स्कर्वी रोग से रक्षा होती है। इस रोग में बच्चों के दांत खराब हो जाते हैं। आम का कोमल पत्ता रुचिवर्द्धक, कफ और पित्त को दूर करने वाला है। आम का बौर भी कई रोगों के काम में आता है। कच्चे आम का पना लू और जलन के लिए हितकारी है। कलमी आम प्राय: क़ब्ज़ और अपचन आदि रोग पैदा करता है। स्वास्थ्य और लाभ की दृष्टि से यदि आम खाना हो, तो बीजू आम की खाना चाहिए।
आम पतले रस वाला ही होना चाहिए। बीजू आम हलका, शीघ्र पचने वाला, वात और पित्त का नाशक और पौष्टिक होता है। बीजू आम के रस को धूप में सुखाने से उसमें विटामिन 'डी' आ जाता है। | पेट की पीड़ा में उसे पानी में घोलकर पिलाने से उदरशूल शान्त हो जाता है। यह हलका, पित्त और वमन का नाशक है। जिन्हें खांड की लत है. उन्हें खांड-जैसी हानिकारक वस्तु की अपेक्षा अमावट खाना चाहिए।
आम की गुठली को पीसकर भी खाया जा सकता है।
आम की गुठली को पीसकर भी खाया जा सकता है। किसी मिट्टी के बर्तन में पानी डालकर उसमें आमों को दो-तीन घण्टे डालकर रखना चाहिए। खाने में शीघ्रता नहीं करनी चाहिए। रस से अधिक लाभ उठाने के लिए उसे मुंह में खूब चबाना चाहिए। इसे रोटी, चावल, दूध आदि सभी वस्तुओं के साथ खाया जा सकता है। निशास्ता वाली चीजों के साथ आम खाना बहुत लाभदायक होता है। आम खाते समय या उसे खाने के बाद पानी नहीं पीना चाहिए। पानी पीने से आम के गुण और स्वाद दोनों ही फ़ीके हो जाते हैं।
आम का रस बड़ा लाभदायक होता है। प्रतिदिन एक गिलास पीने से शरीर स्वस्थ व प्रसन्न रहता है। आम के मौसम में कम-से-कम यह सेवन अवश्य करें। आम का गाढ़ा रस क्षुधा शान्त करता है। पेट और हृदय की जलन मिटाता है। बल-वीर्यवर्धक है। इससे दुर्बलता मिटती है।
आम रस में बर्फ डालकर।
आम रस में बर्फ डालकर चीनी मिलाकर पीने से स्वाद तो बढ़ जाता है, पर यह हानिकारक हो सकता है। अत: बर्फ और चीनी न मिलाना ही अच्छा होता है।पके आम का रस बहुत लाभदायक है। एक सप्ताह तक ही इसको सेवन करके आप इसका परिणाम देख सकते हैं।भोजन के बाद कम-से-कम एक कटोरी रस जरूर लें। भोजन लाभदायक होगा। वैसे भी प्रतिदिन एक गिलास आम का रस लेना स्वास्थ्यदायक ही है।